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लापरवाही:सड़कों पर ‘यमदूत’ बनकर दौड़ रहीं बिना मानक की एंबुलेंस खतरे में जान,निजी गाड़ियों को बना लिया एम्बुलेंस दोगुने दामों में दौड़ा रहे सड़को पर

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एस के श्रीवास्तव विकास

वाराणसी/-सड़कों पर ‘यमदूत’ बनकर दौड़ रहीं बिना मानक की एंबुलेंस खतरे में जान,निजी गाड़ियों को बना लिया एम्बुलेंस दोगुने दामों में दौड़ा रहे सड़को पर।फर्जी एंबुलेंस का संचालन करने वाले लोग न तो इनकी फिटनेस कराते हैं और न ही एंबुलेंस के लिए कोई मानक पूरे करते हैं।

जबकि इन एंबुलेंस में एक नर्सिंग स्टाफ का होना तो जरूरी ही होता है,लेकिन राजातालाब रोहनिया मिर्जामुराद जंसा लोहता सहित दर्जनों क्षेत्रो में सायरन बजाते हुए सड़कों पर एम्बुलेंस दौड़ती नजर आती है।बहुतों में तो चालक के पास लाइसेंस भी कामर्शियल वाहनों का नहीं है,यह लोग जिले के बॉर्डर से मरीजों को दूसरे एम्बुलेंस से अपने मे लेकर निजी अस्पताल लेकर आते है

जहाँ उनकी कमीशन बन जाती है।जिले की सड़कों पर दौड़तीं कई एंबुलेंस में जरूरी मानक पूरे नहीं हैं।कहीं छोटे चारपहिया वाहनों को एंबुलेंस का रूप दिया गया। इनमें न तो प्राथमिक उपचार की सुविधाएं हैं और न ही प्रशिक्षित स्टाफ।एंबुलेंस लिखे होने के कारण इनकी कोई जांच भी नहीं करता। जिले में कितनी एंबुलेंस दौड़ रही हैं,इनका वास्तविक आंकड़ा न स्वास्थ्य विभाग के पास है और न ही परिवहन विभाग के पास।स्वास्थ्य विभाग की 102 और 108 सेवा के अलावा जिले की सड़कों पर करीब डेढ़ सौ एंबुलेंस दौड़ रही हैं।जिले में संचालित अधिकांश निजी अस्पतालों की एंबुलेंस में मानक का पालन नहीं किया जा रहा है।एंबुलेंस का कोई वाजिब किराया भी तय नहीं है।दस से बीस किमी तक जाने पर भी दो से ढाई हजार रुपये लिए जाते हैं।मानक पूरे न होने पर पंजीकरण में नहीं दिखाई दिलचस्पी पूर्व में सीएमओ कार्यालय की ओर से जिले में संचालित निजी एंबुलेंस चाहे वह अस्पतालों की हों या फिर स्वतंत्र रूप से संचालित हो रही हैं उन्हें पंजीकरण कराने के निर्देश दिए गये थे।एंबुलेंस केवल चालकों के भरोसे संचालित होने और जरूरी संसाधनों के अभाव में अधिकांश एंबुलेंस पंजीकरण से दूरी बना ली।पूर्व में सैकड़ो एंबुलेंस सीज भी की गई थीं।एंबुलेंस में मरीज के लिए प्रारंभिक उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए।जरूरी दवाएं के साथ स्टेचर,स्टेथेस्कोप ट्रैक्शन डिवाइस,कार्डियक मॉनीटर,बीपी मॉनीटर,ऑक्सीजन सिलिंडर एंबुलेंस में होना चाहिए।रास्ते में मदद के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी भी साथ में होना जरूरी है। एंबुलेंस लिखे अधिकांश वाहन सिर्फ टैक्सी ही हैं।इसमें मरीजों की जिंदगी भगवान भरोसे ही होती है।इनकी जांच लंबे समय से नहीं हुई है।इससे इतर जिले में वाराणसी,चंदौली,मिर्जापुर सहित अन्य जिलाें के नंबरों की एंबुलेंसों की भरमार है।निजी और मानक विहिन अस्पतालों या उससे कुछ दूर पर खड़ी रहने वाली एंबुलेंस की मदद से मरीजों को ढोया जा रहा है।

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