एस के श्रीवास्तव विकास

वाराणसी/-अस्पताल के दस्तावेजों में जिन डॉक्टरों के नाम दर्ज हैं वे वास्तव में वाराणसी में उपस्थित ही नहीं रहते।सूत्रों के मुताबिक डॉक्टर राम प्रकाश सिंह वर्तमान में लखनऊ में फुल टाइम और शाहजहांपुर में पार्ट टाइम ड्यूटी पर हैं।इसके बावजूद उनके नाम से अर्पित हॉस्पिटल जंसा जलालपुर में ड्यूटी दर्शाई गई है,जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कभी वाराणसी आए ही नहीं।

दूसरा नाम डॉक्टर श्रीकांत पटेल का है,जो पीएचसी गंगापुर में कार्यरत हैं मगर उनके नाम से दर्जनों निजी अस्पतालों में कागजों पर उपस्थिति दिखाई जा रही है,सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली।वाराणसी जनपद के जंसा थाना क्षेत्र के जलालपुर स्थित अर्पित हॉस्पिटल एवं जच्चा-बच्चा केंद्र में बिना योग्य चिकित्सकों के ऑपरेशन किए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।बीते दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) आराजी लाइन की जांच में यह खुलासा हुआ कि यहां पैरा मेडिकल स्टाफ खुलेआम ऑपरेशन कर रहे हैं।

जांच में हुआ बड़ा खुलासा
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि अस्पताल में कार्यरत कथित डॉक्टरों की डिग्रियां और लाइसेंस संदिग्ध हैं।सोशल मीडिया पर बुधवार को एक फोटो वायरल हुआ था,जिसमें एक व्यक्ति ऑपरेशन करते हुए दिखाई दिया।सूत्रों के अनुसार यह व्यक्ति कोई पंजीकृत सर्जन नहीं बल्कि डॉ उदय वर्मा हैं जो पहले राजातालाब स्थित एक निजी चिकित्सालय में कम्पाउंडर के रूप में कार्यरत थे।वहीं से उन्होंने कुछ चिकित्सा संबंधी जानकारी हासिल की और बाद में अपना स्वयं का क्लिनिक खोलकर मरीजों का इलाज व ऑपरेशन शुरू कर दिया।

डॉक्टरों की फर्जी उपस्थिति का खेल
जांच में यह भी सामने आया है कि अस्पताल के दस्तावेजों में जिन डॉक्टरों के नाम दर्ज हैं,वे वास्तव में वाराणसी में उपस्थित ही नहीं रहते।सूत्रों के मुताबिक डॉ राम प्रकाश सिंह वर्तमान में लखनऊ में फुल टाइम और शाहजहांपुर में पार्ट टाइम ड्यूटी पर हैं।इसके बावजूद उनके नाम से अर्पित हॉस्पिटल वाराणसी में ड्यूटी दर्शाई गई है जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कभी वाराणसी आए ही नहीं।दूसरा नाम डॉ श्रीकांत पटेल का है,जो पीएचसी गंगापुर में कार्यरत हैं,मगर उनके नाम से कई निजी अस्पतालों में कागजों पर उपस्थिति दिखाई जा रही है।
अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार

सूत्रों के अनुसार इन फर्जी क्लीनिकों और अस्पतालों को जनपदीय चिकित्साधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।एक वरिष्ठ चिकित्सक ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि पूरे जनपद में हजारों अवैध पैथोलॉजी सेंटर और हॉस्पिटल बिना लाइसेंस संचालित हो रहे हैं।इनसे हर महीने मोटी रकम लेकर यह पैसा मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) कार्यालय से होते हुए मंडलीय और प्रदेशीय अधिकारियों तक पहुंचता है,जिसके बदले फर्जी अस्पतालों और डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं होती।
छह पुलिस गनरों की सुरक्षा से उठे सवाल

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल संचालक को प्रशासन की ओर से छह पुलिस गनर की सुरक्षा भी दी गई है।स्थानीय लोगों का कहना है कि जब अस्पताल के खिलाफ कई शिकायतें और जांचें लंबित हैं,तो ऐसे व्यक्ति को सरकारी सुरक्षा देना भ्रष्टाचार और प्रभावशाली संरक्षण का प्रमाण है।


